भारत का विद्युत क्षेत्र वर्तमान में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का बढ़ता उपयोग, तकनीकी नवाचार, और नीति सुधार शामिल हैं। ये परिवर्तन न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा का बढ़ता प्रभुत्व
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। अक्टूबर 2024 तक, कुल नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बिजली उत्पादन क्षमता 203.18 गीगावॉट तक पहुंच गई, जो देश की कुल स्थापित क्षमता का 46.3% से अधिक है। यह वृद्धि सौर, पवन, जलविद्युत और बायोमास ऊर्जा स्रोतों के संयुक्त प्रयास का परिणाम है। सौर ऊर्जा में 92.12 गीगावॉट, पवन ऊर्जा में 47.72 गीगावॉट, बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में 46.93 गीगावॉट, और छोटी जलविद्युत परियोजनाओं में 5.07 गीगावॉट का योगदान रहा है。 citeturn0search2
सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
राजस्थान सरकार ने वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 30 गीगावॉट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिससे राज्य विद्युत और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। इसके लिए बीकानेर में 1,000 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र और 125 मेगावाट लिग्नाइट-आधारित विद्युत संयंत्र स्थापित करने हेतु एक संयुक्त उद्यम बनाया गया है। इसके अलावा, राज्य में 50,000 से अधिक खेतों में सौर पंप स्थापित करने और 200 मेगावाट विद्युत उत्पादन में सहायता के लिए PM-कुसुम सौर पंप योजना को भी मजबूत किया जा रहा है。 citeturn0search1
कोयला और तापीय विद्युत संयंत्रों में सुधार
भारत में कोयला आधारित तापीय विद्युत संयंत्र अभी भी बिजली उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत हैं। हालांकि, उच्च राख सामग्री और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ रहा है। कोयला गैसीकरण, फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD), और चयनात्मक उत्प्रेरक न्यूनीकरण (SCR) जैसी तकनीकों का उपयोग करके उत्सर्जन को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, कोयला वॉशिंग और बायोमास के साथ को-फायरिंग जैसी विधियों का भी उपयोग किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण पर प्रभाव को कम किया जा सके। citeturn0search3
नीति सुधार और भविष्य की योजनाएँ
भारत सरकार ने विद्युत क्षेत्र में सुधार के लिए कई नीतिगत पहलें की हैं। विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना, और सभी के लिए विद्युत उपलब्ध कराना शामिल है। इसके अलावा, राष्ट्रीय विद्युत नीति, ग्रामीण विद्युतीकरण, पारेषण में खुली पहुँच, वितरण में चरणबद्ध खुली पहुँच, अनिवार्य राज्य विद्युत विनियामक आयोग (SERC), लाइसेंस-मुक्त उत्पादन और वितरण, विद्युत व्यापार, अनिवार्य मीटरिंग, और विद्युत चोरी के लिए कठोर दंड जैसी नीतियाँ लागू की गई हैं। citeturn0search0
ऊर्जा दक्षता और स्मार्ट ग्रिड
ऊर्जा दक्षता में सुधार और स्मार्ट ग्रिड तकनीकों का अपनाना भी विद्युत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है। स्मार्ट मीटरिंग, ग्रिड ऑटोमेशन, और ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियों का उपयोग करके बिजली की खपत को मॉनिटर और नियंत्रित किया जा रहा है। इससे न केवल ऊर्जा की बचत होती है, बल्कि ग्रिड की विश्वसनीयता और स्थिरता में भी सुधार होता है।
6imनवीकरणीय ऊर्जाz_ रोजगार के अवसर और कौशल विकास
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में वृद्धि के साथ, रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं। सौर, पवन, और बायोमास ऊर्जा परियोजनाओं में तकनीशियनों, इंजीनियरों, और प्रोजेक्ट मैनेजर्स की मांग बढ़ रही है। इसके अलावा, कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को इस क्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिससे वे इन अवसरों का लाभ उठा सकें
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